मोटे अनाज है पोषक तत्वों का खजाना- डॉ मीना

 आज दिनांक 15 फरवरी 2023 को कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया के  विशेषज्ञ द्वारा मोटे अनाजों का महत्व एवं उन्नत खेती पर भिंडा मिश्र में किसान गोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ रजनीश श्रीवास्तव के द्वारा किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र की गतिविधियों के बारे पर विस्तार से चर्चा की एवं डॉ श्रीवास्तव ने किसानों को बताया कि 2023 को पूरे विश्व में मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है इस अवसर पर उन किसानों को मोटे अनाज के महत्व के साथ-साथ जायद में सब्जियों जैसे- लोबिया, भिंडी, लौकी, तरोई, टमाटर इत्यादि की खेती कैसे की जाए ताकि किसानों को कम लागत में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो इन सभी पर विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के सस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ कमलेश मीणा द्वारा किसानों को मोटे अनाज जैसे-ज्वार्,  बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी इत्यादि की खेती एवं महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। डॉक्टर मीणा द्वारा किसानों को बताया गया कि आज से कुछ दशकों पहले पोषक अनाजों की खेती हमारे देश में बड़े पैमाने पर  की जाती थी परंतु आज के समय में धान और गेहूं के द्वारा इन पोषक अनाजों का स्थान ले लिया है। मोटे अनाजों की खेती प्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग कर आसानी से की जा सकती हैं, इन मोटे अनाजों में अन्य अनाजों की भांति शरीर के निर्माण के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे-कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, कॉपर, जिंक कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन बी, विटामिन ए एवं सुपाच्य रेशा इत्यादि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बाजरा में लगभग 11 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है जो एनीमिया रोग को दूर करने में सहायक होता है इसी प्रकार 132 माइक्रोग्राम के लगभग कैरोटीन भी पाया जाता है जो आंखों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। ज्वार  में कॉपर और आयरन अच्छी मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इसके सेवन से शरीर में रेड ब्लड सेल की संख्या बढ़ती है एवं एनीमिया रोग भी दूर होता है। इन मोटे अथवा पोषक  अनाजों में कम ग्लाइसेमिक सूचकांक होने के कारण अन्य अनाजों की अपेक्षा मधुमेह रोगियों को खाने की सलाह दी जाती है। पोषक अनाजों का सेवन करने से मोटापा, रक्तचाप, मधुमेह एवं कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है इन मोटे अनाजों की खेती कर कम लागत एवं मेहनत में अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जिससे किसानों की आय बढ़ने के साथ-साथ अपने परिवार को संतुलित आहार प्रदान करने में मदद की जा सकती है।


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