फरिश्तो से बेहतर है इन्सान होना = प्रोफेसर विशिष्ट
गोरखपुर = साहित्य मानव जीवन की विधा है ये हमे जीवन के आयामो का आईने की तरह दर्शन करवाता है । जीवन के पहलू से जिस दिन साहित्य का दामन छूट जायेगा उस दिन मानव जीवन के मूल्यो का हास हो जायेगा उक्त बाते " एहसास का दर्पण " के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि रिलेक्सो डोमस्वेयर कम्पनी निदेशक अबदुल्लाह खान ने कही । उन्होने कहा कि जीवन से साहित्य का उसी तरह से नाता है जिस तरह से रूह से जान का नाता है । जिन्दगी के कीमती वक्त मे साहित्य के लिए कोई एक वक्त जरूर सुनिश्चित होना चाहिए , तमाम व्यस्तताओ के बावजूद पुस्तक पढ़ने का हमारा एक घण्टे का वक्त निर्धारित है मै नियमित एक घण्टे पुस्तक पढ़ता हूं । इसके पूर्व साहित्य जगत को असीम योगदान देने के निसबत उन्होंने " एहसास का दर्पण " काव्य संग्रह लेखिका शायरा नुसरत अतीक गोरखपुरी को बुलंदी की आरजू मे मुबारकबाद दी ।
इसी क्रम मे फारूक जायसी ने नुसरत अतीक को नज्म पेश करते हुए कहा कि नायाब नगीना है सुलगते एहसास , जज्बो का जफीना है सुलगते एहसास , एहसास का दर्पण भी है नुसरत की फिक्र , गजलो का खजीना है सुलगते एहसास " समाज मे प्रभावित भाईचारे व मजहबी द्वंद को आइना दिखाते हुए कहा कि
ये जहर उगलने का समां टूटेगा , बेहूदा हर एक डोरे बयां टूटेगा , ये देश तो सुफियो का संतो का है नफरत का हर एक चीज यहां टूटेगा । जीवन की पहलुओ से जुड़े नज्म पेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय कवि शायर डां कलीम कैसर ने कहा कि एक हकीकत रोज बदलकर एक कहानी हो जाती है, जिस्म दुरीदा हो जाता है, रूह पुरानी हो जाती है " ये तो भी कह सकता था मैने क्यूं न कहा , अच्छे शेरो पर अक्सर हैरानी हो जाती है " जब नई तहजीब की मुमकिन हद बढ़ जायेगी , बेहयाई की दुगुनी कीमते बढ़ जायेगी " अबदुल्लाह खान को नज्म पेश करते हुए कहा कि इक नई कालोनी बनने से ये होगा फायदा , शहर मे दस बीस सुरते बन जायेगी "
उस सितमगर की क्या आरजू कीजिए , छोड़िये और कोई गुफ्तगू कीजिए , उनके कूचे के महसूस आदाब है , पहले अश्को से अपने वजू कीजिए । कासिम खुर्शीद ( पटना ) ने कहा कि " दरो दीवार से उगती हुई तन्हाईया चुप है , कोई तो बात है जिस बात से रुसवाइया चुप है " कही है जश्न का आलम और कही आंखो मे दरिया है..." मुहब्बत से इशारा चाहता है समन्दर अब किनारा चाहता है , सियासत अब निकल कश्मीर से तू हर दिल अब शिकारा चाहता है , जुलु की रात लम्बी हो रही है मेरा दिल भी सहारा चाहता है " से खूब वाहवाही लूटी । प्रोफेसर विशिष्ट ने कहा कि " फरिश्तो से बेहतर है इन्सान होना , मगर इसमे लगती है मेहनत ज्यादा " शायरी इन्सानियत का पाठ पढ़ाती है " से समाज को दिशा देने की कोशिश की । मेरे लफ्जो मे जादुई असर भी खूब आता है , मै खुशबू हूं हवाओ का सफर भी खूब आता है , नही पिघला तो घिस जायेगा..." गदोरी पर रची मेंहदी की लाली याद आती है , मुझे अक्सर वो लड़की भोली भाली याद आती है " हमे रंग बदलने की कलाकारी नही आती है, बदलते दौर की मुझको अदाकारी नही आती है , जिसे तहजीब कहते है वो आते आते आती है , फकत दौलत के बूते रवादारी नही आती है " से महफिल मे चार चांद लगा दी । महफिल मे समां बांधते हुए उस्मान उतरावली " मेरा नाम तब तक कहानी मे था , मै जब तक तेरी हुक्मरानी मे था । तेरी जग से इनायत हो गई है, जमाने को शिकायत हो गई है " नज्म से खूब वाहवाही लूटी । डां आर के राय " साथ चल सके सभी विधान राम का बना , मर्म वेदना का श्याम का बना " कवियित्री अनिता पाल" साख से टूटे हुए गुलाब की कहानी लिख गया " से साहित्य को नया आयाम देने की कोशिश की गई । उभरते शायर महमूद खलीलाबादी " अब इसके बाद कोई लफ्ज कोई बात नही, खुदा की जात से आला... । दीदार बस्तवी " जख्म अपने निगल रहा हूं मै , इस तरह फूल फल रहा हूं मै , मुझको सूरज बनाकर छोड़ गया एक मुद्दत से जल रहा हूं मै " इश्क की पैरवी जरूरी है , फिर कोई जिन्दगी जरूरी है ।
सुलेमान मसरूर " सीने मे लिए दर्द का तूफान है कुछ लोग , हालत से लेकिन अनजान है कुछ लोग । हेमा पाण्डेय " हमेशा त्याग को दिखती है , मुझे तैयार मेरी मां , कभी लोरी की बनती है झंकार मेरी मां " उसकी जानिब से यूं बेवफाई हुई , मै लूटा आई दौलत कमाई हुई , आज फिर रात वो ख्वाब मे आ गया , आज फिर रात जमकर लड़ाई हुई । युवा कवि दीपक गोस्वामी " अपने जज्बात को काबू मे रख रहा हूं, तेरी कसौटी पे खुद को परख रहा हूं " कवियित्री श्यामा पाठक" जीने की खातिर सब कुछ है.... से नज्म पेश कर साहित्य के साथ समाज को एक सुनहरे भविष्य की ओर ले जाने भरसक प्रयास किया गया ।
इसी क्रम मे कवि शायरो ने अपने अपने नज्म पेश किया । इससे पूर्व पद्यम श्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद त्रिपाठी के करकमलो द्वारा काव्य संग्रह " एहसास का दर्पण " लोकार्पण किया गया । कार्यक्रम का आयोजन यासमीन शरीफ वेलफेयर सोसायटी के तत्वाधान मे आयोजित हुआ ।" एहसास का दर्पण " के सफल लोकार्पण व मुशायरे के आयोजन के साथ नुसरत अतीक गोरखपुरी ने सबका आभार व्यक्त किया तथा मोमेंटो , साल , पुष्पगुच्छ , एहसास का दर्पण का प्रति देकर सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन अंतरराष्ट्रीय कवि शायर डां कलीम कैसर व उस्मान उतरावली ने किया ।
इस अवसर पर कम्पनी मैनेजर फारूक , समीउल्लाह खान , हकीकुल्लाह खान , वरिष्ठ पत्रकार रमेश कुमार शर्मा , व्यंगकार कवि विनय आशू , अमरनाथ जायसवाल आदि कवि , कवियित्री , शायर , शायरा सहित तमाम गणमान्य उपस्थित रहे ।
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